NEELAM GUPTA

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लेखन प्रतियोगिता रिश्तो की बदलती तस्वीर

शीर्षक- हमारा अनोखा रिश्ता 


"तेरा मेरा रिश्ता भी बहुत अजीब है। बहुत कशमकश होती है, जब तलक तुमसे बतिया न ले। फोन पर फोन मिलाते रहते हैं ,जब तक तुझ से बातें नहीं हो जाती हैं। कैसा है यह दिल का रिश्ता जो खून कर ना हो कर भी तेरा मेरा है ।"

अनिला , एक साधारण सी हाउसवाइफ जिसकी जिंदगी घर के कामों तक ही सीमित है ज्यादा से ज्यादा सब्जी भाजी लेने बाहर निकलती है या घर का कोई काम हो तो ही बाहर निकलती है नहीं तो उसे अपने घर के इर्द गिर्द अपनी दुनिया में ही रहना पसंद करती है। सारा काम संभालते हुए भी, सब उसमें सिर्फ कमियां ही निकालते हैं ।

"बहू सब्जी में नमक कम है कितने साल हो गए तुझे आज तक समझ नहीं आता कैसे खाना बनाना है।" सासू मां ने गुस्से में अनिला से कहा।

"मांझी आपको बीपी अधिक रहता है इसलिए आप की दाल में कम ही नमक रखा है लेकिन आपको ही परेशानी होती। यदि ज्यादा नमक हो जाता तो आप ही कहती कि तुझे पता है न हाई बीपी है फिर भी नमक कम नही डाला है।"

"बस हर बात का जवाब देना आता है, कुछ भी कहो सुनना तो है ही नहीं"। सासू माँ मुँह बनाते हुए खाना खाने लगी ।

अनिला ,"आजकल खाने में बहुत तेल होता है कितनी बार कहा है, तेल कम डाला कर  जब टिफिन खोलो ऊपर ही तैरता रहता है। आफिस से आकर पतिदेव जी ने शिकायती लहजे में अनिला से कहा।

जब आप ही तो कहते हो ,तेरी सब्जी में रंगत नहीं होती  तो ऊपर से देगी मिर्च और घी का छौक लगा देती हूँ ।जिससे सब्जी में रंगत आ जाती है उसके लिए तो एक्स्ट्रा तेल लगता ही है। कम तेल की सब्जी आपको अच्छी नहीं लगती।

हाँ हाँ तो,  सब्जी में रंगत लाने के लिए कहा है। भर भर कर तेल डालने के लिए नहीं कहा  अनिला के पति ने चिढ़ते हुए कहा।

"सारे दिन जाने घर में करती क्या है  कुछ भी करने को कहो ,वह कार्य ठीक से होता ही नहीं है।"

सासु मां ने भी साथ में आवाज मिलाई हाँ, पूरे दिन बस इधर से उधर घूमती रहती है । काम तो कुछ इससे होता नहीं है । और कोई काम सही करने के लिए कहो तो सामने से जबान चलाती है।

यही तो माँ, इसको कौन समझाए ,बिना मतलब की इससे दिमाग मारना है । इसके भेजे में तो कुछ आने से रहा। अपना ही दिमाग खराब करना है । चलो आप यहाँ से कहते हुए अनिला के पति और सास गुस्सा हो कर चले गए।

अनिला मन मसोस कर मायूस होकर कर रह गई।

यह रोज का काम था। अनिला कितना भी अच्छा करने की कोशिश करें लेकिन उसको हमेशा सुनना ही पड़ता था।

"मम्मी मम्मी कुछ बढ़िया सा बना दो लेकिन हम तला हुआ नहीं खाएंगे।बच्चे फरमाइश लेकर आए।

"पोहा बना दूं ,इडली, बेसन का चीला, दलिया ।"

"मम्मी तला हुआ बनाने को मना किया है । इसका मतलब यह नहीं कि कुछ भी खिला दो।"

"तो बच्चों तुम ही बता दो क्या बनाऊँ"।

"किचन का काम आपका है ,आप ही जानो। यदि हमें पता होता तो हम पहले ही बता देते। लेकिन कुछ अच्छा बनाना। अनिला सोचती रह गई बिना तले हुए और क्या अच्छा बनता है।

यह कशमकश उसकी जिंदगी का हर दिन है लेकिन फिर भी वह हंसती मुस्कुराती हुई पूरे घर को संभालती है।

सबके अनुसार काम करके ,सबके चेहरे पर संतुष्टि के भाव और मुस्कुराहट देखना चाहती थी लेकिन मुस्कुराहट तो ना देख पाती और खुद ही पछता कर मायूस होकर रह जाती थी।

एक दिन उसने योगा क्लास ज्वाइन की और बाहर की दुनिया से रूबरू हुई कि किस प्रकार दोस्तों से खुलकर बातें करते हैं और कोई रोक-टोक नहीं होती न ही कोई कमियां निकालता है। सिर्फ उनके गुणों का पहचान कर उनकी तारीफ की जाती है।

अरे वाह! तुमने जलेबिया तो बहुत लाजवाब बनाई है कभी कभी अनिला कुछ बनाकर योगा क्लास में भी ले जाती थी। क्योंकि अक्सर तीज त्योहार पर क्लास में छोटा सा गेट टुगेदर हमेशा होता रहता था।

उनमें से ही एक साधिका, उसकी सबसे अच्छी सहेली बन गई।  जिससे वह अपने मन की बताने लगी और खुश रहने लगी । कोई भी समस्या हो उससे बात कर समाधान निकल जाता और मन हल्का हो जाता। वह खुश रहने लगी।

उसकी सहेली कहती है यार ,"जिस दिन भी तु नहीं आती तो हमारा मन नहीं लगता है । प्लीज जरूर क्लास में आया करो । अब उसको ऐसा लगता है कि मेरा भी कोई अस्तित्व है । नहीं तो समय की धुंध में वह कहीं खो गई थी। उसके दोस्त ने उसके अंदर यह एहसास जगाया ।
क्योंकि कभी कभी अनिला अपनी अधिक व्यस्तता के कारण योगा क्लास नहीं जा पाती थी। 

कोई इसका भी इंतजार करता है। उसे बहुत खुशी होती है। उसके आने ना आने से किसी को तो अभाव महसूस होता है । उसकी उपस्थिति किसी को खुशी देती है । इस बात को सोचकर ही वह तो खुश हो जाती।

इस प्रकार अनिला और उसकी दोस्त का रिश्ता इतना गहरा और मजबूत हो गया कि अनिला ने एक दिन कहा ..
कि तेरा मेरा रिश्ता न जाने कैसा है।
दूर है फिर भी यह साथ कैसा है ।
समझते हैं एक दूसरे की बातों को।
ना इसमें कोई लगता धन और पैसा है।

नीलम गुप्ता( नजरिया) दिल्ली

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8 Comments

Arvaz Ahmad

03-Jul-2022 12:28 PM

Nice

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Reyaan

29-Jun-2022 08:06 PM

Nice

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Pallavi

29-Jun-2022 06:56 PM

Nice 👍

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